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लेखनी प्रतियोगिता -06-Sep-2022 मुक्तक : महफिल

दिल के शामियाने में तेरी महफिल सजाए बैठे हैं 
धड़कनों में तेरे ही नाम की सरगम बजाए बैठे हैं 
आंखों के दरीचों में तेरी चाहत की रोशनी है जली 
ख्वाबों के दरख्तों में आरजू ए महक सजाए बैठे हैं 

श्री हरि 
6.9.22 

   20
11 Comments

Nice🌺💐👍

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Hari Shanker Goyal "Hari"

07-Sep-2022 05:09 AM

💐💐🙏🙏

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Reena yadav

06-Sep-2022 05:18 PM

आपको बहुत बहुत बधाई हो 💐💐 आपकी किताब यक्ष प्रश्न का विमोचन जो हो गया 👍👍

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Hari Shanker Goyal "Hari"

07-Sep-2022 05:10 AM

बहुत बहुत आभार आपका । अगर हो सके तो पढकर समीक्षा कीजिए 💐💐🙏🙏

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बहुत ही सुंदर सृजन

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Hari Shanker Goyal "Hari"

07-Sep-2022 05:10 AM

💐💐🙏🙏

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